Pandit Hanuman Sahay

Books

पुस्तक विषम ताल छंदावली 

यह निर्विवादित सत्य है कि कोई भी मानव नया कुछ भी नहीं कर सकता। भारतीय ऋषियों-मुनियों की गणन क्रिया की ही झूंठन को मनुष्य तोड़-मरोड़ कर परोसता है। आज का व्यक्ति हमारे वेद-शास्त्रों को न तो गुरुओं की सन्निधि में रहकर ज्ञान प्राप्त करता है न हीं तत्व से पढ़ता है। अतः उसके द्वारा किया […]

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राजस्थान की शैली माड – उद्गम एवँ विकास 

सदा सुहागिन भैरवी, अमर राग है माड। कोमल सुध सुर साधिया, सबै लडावे लाड।।          कुछ ऐसे ही दोहों को संजोकर पंडित हनुमान सहाय जी ने राग माड को साकार किया। आपसे बात चीत करने पर आपने बताया कि कार्यशालायें लगाने की होड ना करके संगीतकार संगीत के स्तर को उन्नत करने की कोशिश करते रहे।

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विचार राग सागर

डॉक्टर हनुमान सहाय द्वारा लिखित राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक “विचार राग सागर” में यह ध्यान रखा गया है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत और शाब्दिक साहित्य की अवधारणा ज्यों की त्यों बनी रहे। जिस भी साहित्य को साथ लेते हुए गाया जाए वह राग व साहित्य के धर्म को पूर्ण रूप से निभाएं

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मरुधरा के भक्त कवि गायक* 1.प्रस्तावित शोध कार्य का महत्व

राजस्थान में कला का विकास सैकड़ों वर्ष पुराना है। प्रागैतिहासिक काल में पन्नों को पलटा जाए तो हमें इसका प्रमाण स्वता ही प्राप्त हो जाएगा। प्राचीन काल में कला को प्रोत्साहन देने का प्रगति की ओर अग्रसर करने का श्रेया सदैव राजा महाराजाओं को रहा है।  वर्तमान समय में अनेक कलाकार अपने कला कर्म से

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