Pandit Hanuman Sahay

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खयाल शैली में साहित्य का अभाव

खयाल भाषा से निकला हुआ शब्द है जिसका मतलब होता है विचार। और साहित्य हिन्दी की उस भाषा का नाम है जिसको ज्ञानी, गुणी, विद्वान, कवि और गायक आदि बहुत ही शिष्ट भाषा में लिखते हैं जो कि मात्राओं की दृष्टि से भी खरी उतरती है एवं किसी को संदेश देने में भी समाजोपयोगी होती […]

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लक्ष्यहीन संगीत के जिम्मेदार सरकार व कलाकार

 अध्यात्मवादियों के मतानुसार जिस प्रकार ब्रह्म से पर सृष्टि की कल्पना असंभव है। इसी प्रकर प्रकृति और चराचर जगत के प्रत्येक तत्व एवं वस्तु के आंरतरिक अवयवों में सुक्ष्मातिसुक्ष्म, अक्षुण और अ अखंड धारा सदियों से वर्तमान तक प्रतिक्षण पल-पल समाहित और प्रवाहित है और  अनंतकाल तक रहेगी। इस प्रकार संपूर्ण जगत ही अदृश्य रूप

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मानव जीवन में संगीत का महत्व एवं भूमिका

मैं मूलतः संगीत का विद्यार्थी हॅू। अतएव मेरा राजनैतिक व अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से सीधा कोई सरोकार नहीं है। लेकिन पिछले कुछ सालों में मेरे को जिस एक बात ने गहरा असर किया तो वह है कि अफगानिस्तान जैसी जगह जहॉं पर कठोर धार्मिक शासन था, और संगीत पर ऐसे प्रतिबंध थे जिन्हें सोचकर रोगंटे खड़े

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संगीत के द्वारा आध्यात्म की ओर

यह विचारणीय है कि भारतीय कलाकारों ने संगीत की आत्मा को कैसे पहचाना। हमारें यहॉं संत महात्माओं द्वारा समाधिस्थ होने पर जो अनहद नाद का आंनद आता हैं, और उनसे पूछने पर यह सुनने को मिला कि जब उस परमात्मा से लौ लग जाती है तब हमारे अन्तरमन में छःराग व (36) छŸाीसों बाजा की

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शास्त्रीय-संगीत की आधार शिला लोक-संगीत

भारतीय संगीत के मुख्यरूप से तीन प्रकार देखनें सुनने में आते है। जिससे पहला शास्त्रीय-संगीत दूसरा उप-शास्त्रीय संगीत जिसे सुगम या सरल संगीत भी कहा जाता है और तीसरा लोक-संगीत। इन तीनों संगीत की विधाओं पर कुछ प्रकाश डालना चाहुॅंगाः-  शास्त्रीय-संगीत या पक्का गाना वह है जो शास्त्रीय नियमों के अन्तर्गत आता है। इनमें ध्रुवपद,

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