संस्थागत शिक्षण पद्धति केे दोष
1 शिक्षण संस्थाओं में संगीत विषय को जिस मौलिकता व गुणवता के साथ लागू किया गया था , उतनी कारगर नहीं हुई । 2 शिक्षण
1 शिक्षण संस्थाओं में संगीत विषय को जिस मौलिकता व गुणवता के साथ लागू किया गया था , उतनी कारगर नहीं हुई । 2 शिक्षण
1 वर्तमान में गुरू -शिष्य परंपरा के मायने ( अर्थ ) ही बदल गये हैं । 2 गुरू अपने शिष्य को संगीत की गूढ साधना
1 वर्तमान समय में भी कुछेक संगीत गुरू अपने शिष्यों को औलाद के समान मानते हुए संगीत का ज्ञान प्रदान करते हैं। 2 गुरू अपने
भारत देश धर्म प्रधान देश होने के कारण यहॉं हर विद्या के लिए गुरू बनाया जाता है। वह चाहे गुरूकुल में विद्यार्जन का केन्द्र हो
जहाँ तक जयपुर के सांगीतिक परिवेश को समझने की बात है, तो सबसे पहले हमें संगीत के महत्व को समझना होगा। जो वैदिक व लोक
खयाल भाषा से निकला हुआ शब्द है जिसका मतलब होता है विचार। और साहित्य हिन्दी की उस भाषा का नाम है जिसको ज्ञानी, गुणी, विद्वान,